दिवाली क्यू मनाते है ? और दिवाली मैं दिये और पटाके क्यू जलाते है ?
HAPPY DIWALI TO ALL |
दोस्तो आप मैं से कईओके मनमे खयाल जरूर आया होगा की दिवाली क्यू मनाते है ? और दिवाली प्वे दिये और पटाके क्यू जलते है ? तो दोस्तो मैं आज आप सभी को इस सवाल का जवाब देनेवाला हु तो दोस्तो इस पोस्ट मैं बने रहिएगा इससे आप के मन की सब खयाल दूर हो सके और आपको समज सके की diwali क्यू मनाई जाती है ? और दिवाली मैं दिये क्यू जलाते है ? तो दोस्तो यहा से हम अब अपने पोस्ट की मुख्य बता करते है ।
तो दोस्तो मैं आपको बता दु की यहा पे दिवाली मनाने के पीछे बहुत से पौराणिक कथाये है व मान्यताए है। इसी अनुसार देश के अलग-अलग हिस्सो मैं इसे मनाने के तरीको मैं भी बहुत बदलाव आते है । तो दोस्तो मैं आपको उन्ही कथाओ मैं से कई कथाये बताने वाला हु । तो दोस्तो चलिये देख लेते है वे पौराणिक कथाये और मान्यताए क्या - क्या है । तो यहा से सुरू होता है अपना सफर ।
तो दोस्तो मैं आपको बता दु की यहा पे दिवाली मनाने के पीछे बहुत से पौराणिक कथाये है व मान्यताए है। इसी अनुसार देश के अलग-अलग हिस्सो मैं इसे मनाने के तरीको मैं भी बहुत बदलाव आते है । तो दोस्तो मैं आपको उन्ही कथाओ मैं से कई कथाये बताने वाला हु । तो दोस्तो चलिये देख लेते है वे पौराणिक कथाये और मान्यताए क्या - क्या है । तो यहा से सुरू होता है अपना सफर ।
1) भगवान राम आयोधाय लौटे थे -
माना जाता है की जब भगवान राम रावण को मारकर या फिर जब रावण को हरा कर और चौदा वर्ष का वनवास पूरा कर अयोध्या लौटे तो नगरवासियों ने पूरे अयोध्या को रोशनी से सजा दिया और यहा से ही भारतवर्ष मैं दिवाली का त्योहार मनाया जाता है और दिये जलाए जाते है या फिर कहलों पटाके फोड़े जाते है ।
तो दोस्तो यहा पे बात करे दूसरी पौराणिक कथा के बारे मैं तो नीचे दिया गया है ।
2) हिरण्यकश्यप का वध -
एक पौराणिक कथा के अनुसार विष्णू ने नरसिह रूप धारण कर हिरण्यकश्यप का वध किया था । देत्यराज की मृत्यु पर प्रजा ने घी के दिये जलाकर दिवाली मनाई थी ।
तो दोस्तो यहा पे तीसरे पौराणिक कथा की माने तो वो कहती है की
3) कृष्ण ने नरकासुर का वध किया -
कृष्ण ने अत्याचारी नरकासुर का वध दीपावली के एक दिन पहले चतुर्थी क किया था । इसी खुशी मैं अगले दिन अमावस्या को गोकुलवासियों ने दीप जलाकर खुशिया मनाई थी ।
4) शक्ति ने धारण किया महा काली का रूप -
राक्षसों का वध करने के बाद भी जब महाकाली का क्रोध कम नहीं हुआ तब भगवान शिव के शरीर स्पर्श मात्र से ही देवी महाकाली का क्रोध समाप्त हो गया । इसी की याद मैं उनके शांत रूप लक्ष्मी की पुजा की शुरुवात हुई । इसी रात इनके रौद्ररूप काली के पुजा का भी महत्व है ।
तो इसी सभी पौराणिक कथाओके वजे से दिवाली मनाई जाती है और दिये और पटाके भी जलाए जाते है ।
पटाके जालना तब तो नहीं किया जाता था पर अब खुशी जाहीर करने के लिए पटाके भी फोड़े जाने लगे है तब की बात करे तो तब दिया जलना शुभ माना जाता था इस वजे से तब दिये जलाए जाते है और अभी भी जलाए जा रहे है क्यूकी दिये की रोशनी से सभी तरीके के अंधेरे दूर होते है और सब ओर उजाला फैल जाता है और सब के मन की बुराई कम होती है इसी वजे से दिवाली मैं दिये जलना बहुत महत्वपूर्ण है ।
तो दोस्तो मैं आप से आखरी मैं कहना चाहता हु की आपको ये पोस्ट कैसी लगी ये हमे जरूर comment के जरिये बताना और आपके पास कोई और पौराणिक कथा हो तो comment कर जरूर हमे बताए । तो दोस्तो भीर मिलेंगे एक नए पोस्ट के साथ ।
ध्न्यवाद !!!!
Ram ram
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